
पूंजीवादी लोकतंत्र में पूंजीपति वर्ग और इसके समर्थक लोग सभ्यता की दुहाई देते नहीं थकते। यह वर्ग समाज में अपने आप को ही सभ्य मानता है। मेहनतकश वर्ग को असभ्य कहकर उससे घृणा करता है। लेकिन इस तथाकथित सभ्य वर्ग के अंदर सभ्यता वाले कोई लक्षण नहीं होते है। ये वर्ग सभ्यता का चोला ओढ़ कर अश्लील पतित संस्कृति के साथ जीता है।
इसी तथाकथित पतित सभ्य संस्कृति को ये समाज के मेहनतकश हिस्से में नंगई के साथ प्रचारित-प्रसारित करता है। पूंजीपति वर्ग की पतित सभ्य संस्कृति महिलाओं को यौन वस्तु के रूप में पेश करती है। यह वर्ग अपने मुनाफे के लिए अश्लील फिल्म व गाने बनाकर लोगों के दिमागों को दूषित करता है जिसके परिणामस्वरूप महिला अपराधों में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं के साथ अपराध नहीं हो सकते। लेकिन हमारे देश के नेता महिला सशक्तिकरण की ढेरों बातें करते हैं कि अब महिलाएं मजबूत हो गई हैं इत्यादि। लेकिन ये नहीं बताते कि किस वर्ग की महिलाएं मजबूत हो गई हैं। मेहनतकश वर्ग की महिलाएं तो आज भी असुरक्षित हैं जो रोज पूंजीपति वर्ग के सभ्य समाज में यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। यहां तक कि शासक वर्ग की महिलाएं जो हमेशा सुरक्षा में रहती हैं वह भी आम महिलाओं को ही सम्भल कर रहने का ज्ञान देती है। जबकि समाज की आधी आबादी होने के नाते हर चीज पर महिलाओं का अधिकार बनता है।
कोई भी इन अपराधों के असली अपराधी, यानी पूंजीवादी शासक वर्ग को जिम्मेदार ठहराकर इसके खिलाफ आवाज उठाने की बात नहीं करता। ये ही वो वर्ग है, जो समाज में हर अपराधों को जन्म देता है और उसको पालता है। पूंजीपति वर्ग, मनुष्य को सभ्यता की दिशा के बजाए बर्बरता की ओर ले जाने में अपनी पतित संस्कृति का हर तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। आज वर्तमान समय में उस विचार और संस्कृति के खिलाफ संघर्ष करने की जरूरत है, जिसकी वजह से अपराधी मानसिकता बनती जा रही है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए जरूरी है कि समाज की बहुसंख्या को अपराधी मानसिकता में ढकेलने वाली पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त कर समाजवादी व्यवस्था कायम की जाए। जब तक पूंजीवादी व्यवस्था रहेगी, महिलाओं के साथ अपराध होते रहेंगे। -राजू, गुड़गांव