
शहतूत के गिरने के बाद
जमीन लाल रंग के निशानों से भर जाती है
और नुकीले टुकड़ों पर
रक्त और लिपटा मांस
गिरने की पीड़ादायी यंत्रणा को
बयां करता है
शहतूत के गिरने के बाद
भेडिए और सियार
मानवता का खोल पहन लेते हैं
कुछ देर कोलाहल होता है
शहतूत को थामे कुछ हाथ होते हैं?
संवेदनाओं में लिपटे शब्द
सदियों पुराने एहसास लिए होते हैं
इंसान के शहतूत बन जाने पर
पुराना और नया रक्त एक हो जाता है
शहतूत के गिरने के बाद
ऊंचाई पर टंगी सीमेंट की टूटी चादरें
हत्या के सुबूत छोड़ जाती हैं
और उन दरारों से नीला आसमान दिखता है
तथाकथित सभ्यता का मुखौटा पहने
गाथाओं और कथाओं से गढ़े गए
साहबों का चेहरा
इन दरारों से दिखाई देता है
और उनके होठों पर होती है लालिमा
शहतूत के लाल रस की।