सऊदी अरब के निओम प्रोजेक्ट में श्रमिकों की चौंकाने वाली मौतें

/saudi-arab-ke-neom-project-mein-sramikon-ki-chaunkaane-wali-maautein

सऊदी अरब ‘‘नियोम सिटी प्रोजेक्ट’’ पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश में एक अभिनव शहरी क्षेत्र बनाना है। प्रमुख परियोजना के निर्माण के लिए श्रमिकों को कानूनी सीमाओं से कहीं ज्यादा घंटों तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, कई लोगों को महीनों तक भुगतान नहीं किया जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। 2016 से अब तक 21,000 प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु हो चुकी है। ITV की डाक्यूमेंट्री ‘‘द किंगडम नेकेडः इनसाइड सऊदी अरब’’ इस स्थिति के बारे में चौंकाने वाली जानकारी देती है।
    
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में, सऊदी अरब विजन 2030 के ढांचे के भीतर कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इन परियोजनाओं में सबसे उल्लेखनीय है नियोम सिटी परियोजना, जिसका उद्देश्य देश में एक अभिनव शहरी क्षेत्र बनाना है।
    
डाक्यूमेंट्री टीम ने सऊदी विजन 2030 के कार्यान्वयन के दौरान हुई त्रासदियों पर प्रकाश डाला, जिसमें बताया गया कि सिर्फ आठ वर्षों में 21,000 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई है। यह आंकड़ा देश में खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों और मजदूरों के अधिकारों के उल्लंघन को उजागर करता है। कई मजदूरों का कहना है कि वे ‘‘फंसे हुए गुलामों’’ की तरह महसूस करते हैं, जबकि उनके परिवार भी शोक मना रहे हैं।
    
डाक्यूमेंट्री में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह से कठोर कार्य परिस्थितियों में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। एक श्रमिक का कहना है कि वह द लाइन गगनचुंबी इमारत परियोजना पर 16 घंटे काम करता है, और सप्ताह में 84 घंटे से अधिक। सऊदी कानून कार्य सप्ताह को 60 घंटे तक सीमित करता है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस कानून का सख्ती से पालन नहीं किया जाता है। श्रमिकों का कहना है कि उनके पास आराम करने के लिए बहुत कम समय है और वे लगातार चिंता में रहते हैं। लंबी शिफ्ट के अलावा, श्रमिकों ने एक अंडरकवर रिपोर्टर को बताया कि उन्हें रेगिस्तानी साइट पर जाने और वापस आने के लिए बिना वेतन के तीन घंटे की बस यात्रा करनी पड़ती है, जिससे उन्हें सोने के लिए लगभग चार घंटे मिलते हैं।
    
डाक्यूमेंट्री में यह भी बताया गया है कि निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों के गायब होने की दर काफी अधिक है। दावा है कि सऊदी अरब में NEOM परियोजना के तहत 100 प्रवासी श्रमिक गायब हो गए हैं। इसके अलावा, भारत, बांग्लादेश और नेपाल के श्रमिकों की मौत के आंकड़े भी उल्लेखनीय हैं। नेपाल के विदेशी रोजगार बोर्ड का कहना है कि 650 से अधिक नेपाली श्रमिकों की मौत का अभी भी स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
    
श्रमिकों को व्यवस्थित रूप से दुर्व्यवहार और खतरनाक शोषण का सामना करना पड़ता है। काम के घंटे अंतर्राष्ट्रीय मानकों से कहीं ज्यादा हैं, जो पूरे सऊदी अरब में व्यापक हैं।
    
डाक्यूमेंट्री में बताया गया है कि कितने सारे कामगारों को महीनों से वेतन नहीं मिला है और उनके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। कुछ का कहना है कि उन्हें 10 महीने से वेतन नहीं मिला है और दूसरों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है। एक और मुद्दा यह है कि उन्हें अपने परिवारों से मिलने के लिए राज्य से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
        
नियोम एक शहरी क्षेत्र परियोजना है जिसे सऊदी अरब द्वारा तबुक प्रांत में बनाया जा रहा है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा 2017 में लान्च की गयी, यह परियोजना लाल सागर के उत्तरी सिरे पर, मिस्र के पूर्व में, अकाबा की खाड़ी के पार और जार्डन के दक्षिण में स्थित है। नियोम का कुल नियोजित क्षेत्र 26,500 वर्ग किलोमीटर है और इस परियोजना में कई क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें एक विशाल औद्योगिक परिसर, एक वैश्विक व्यापार केंद्र और पर्यटक रिसार्ट शामिल हैं।
    
सऊदी अरब को उम्मीद है कि 2039 तक निओम परियोजना का अधिकांश हिस्सा पूरा हो जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों ने परियोजना की अनुमानित लागत पर अक्सर सवाल उठाए हैं, जो कि 1.5 ट्रिलियन डालर से अधिक होने की उम्मीद है। पर्यावरण और मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर भी गंभीर चिंताएं हैं। डाक्यूमेंट्री में उन अमानवीय परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनका सामना इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रवासी श्रमिकों को करना पड़ता है, और यह अस्वीकार्य है।
    
निओम परियोजना सऊदी अरब के विजन 2030 में सबसे महत्वाकांक्षी और विवादास्पद परियोजनाओं में से एक है। हालांकि, यह परियोजना श्रमिकों की मृत्यु और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे गंभीर मुद्दों से प्रभावित है। 
  साभार : www.svenssonstiftelsen.com

आलेख

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।