
8 मार्च : अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाने वाला मजदूर-मेहनतकश महिलाओं का त्यौहार और उनके संघर्षों का प्रतीक दिवस है। इस अवसर पर क्रांतिकारी-प्रगतिशील महिला एवं अन्य सामाजिक-राजनीतिक संगठन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर क्रांतिकारी-प्रगतिशील महिला शहीदों एवं अन्य शख्सियतों को याद करते हैं और पूंजीवादी शोषण-उत्पीड़न एवं पितृसत्ता के विरुद्ध संघर्षों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।
दिल्ली में इस अवसर पर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा मजदूर बस्ती शाहबाद डेरी में एक सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि 8 मार्च एक क्रांतिकारी दिवस है जो कि मजदूर महिलाओं द्वारा उनके काम के घंटे कम करने व वोट देने का अधिकार देने के लिये; साथ ही, लैंगिक भेदभाव के विरुद्ध ऐतिहासिक संघर्ष से सीधे जुड़ा है, लेकिन शासक पूंजीपति वर्ग इस दिन को भी अपना सामान बेचने के लिये महिलाओं को गिफ्ट देने के दिन में बदल देना चाहता है।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस के अवसर पर गुड़गांव में मजदूर बस्ती सूरत नगर में इंकलाबी मजदूर केंद्र और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा सुबह प्रभात फेरी एवं शाम को एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें महिलाओं ने बढ़कर भागीदारी की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज हमारे देश में मजदूर-मेहनतकश महिलायें फैक्टरियों से लेकर खेत-खलिहानों तक और अस्पताल, स्कूल, मॉल हर जगह बढ़कर योगदान कर रही हैं। वे कहीं भी किसी से पीछे नहीं हैं; हालांकि इसके बावजूद यह भी सच्चाई है कि वे आज भी पूंजीवादी शोषण, पितृसत्ता और धार्मिक संस्थाओं की जकड़बंदी की शिकार हैं।
फरीदाबाद में 8 मार्च के दिन इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया; साथ ही महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के विरोध में पुतला दहन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज फिल्म एवं ग्लैमर इंडस्ट्री, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, आधुनिक वेश्यावृत्ति एवं पोर्न साइटें पूंजीपतियों के मुनाफे के बड़े स्रोत हैं। इनके जरिये पूंजीपति महिलाओं के शरीर को माल की तरह प्रस्तुत करने वाली जिस अश्लील उपभोक्तावादी संस्कृति का प्रसार करते हैं वह महिलाओं के विरुद्ध होने वाली यौन हिंसा का मुख्य कारण है।
हरिद्वार में इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन एवं सीमेंस वर्कर्स यूनियन द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पूंजीपति अपने मुनाफे के लिये मजदूर-मेहनतकश महिलाओं का सस्ते श्रमिक के रूप में भयंकर शोषण करता है। आज ज्यादातर फैक्टरियों एवं अन्य संस्थानों में समान काम के बावजूद उन्हें पुरुषों की तुलना में आधा अथवा दो-तिहाई वेतन ही दिया जाता है।
काशीपुर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज सरकार खुद भोजनमाताओं, आशा कार्यकत्री एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से न्यूनतम वेतन पर बेगारी कराकर उनका भयंकर शोषण कर रही है।
रामनगर में इस अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया हुआ। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा 8 मार्च के दिन ग्राम वीरपुर लच्छी में विचार गोष्ठी, 9 मार्च को शहर में सभा कर जुलूस एवं 11 मार्च को मालधन में विचार गोष्ठी की गई, जिनमें इंकलाबी मजदूर केंद्र व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं एवं भोजनमाताओं ने भागीदारी की।
इसके अलावा महिला एकता मंच द्वारा 8 मार्च को वन ग्राम पूछडी, 10 मार्च को सुंदरखाल एवं 11 मार्च को ग्राम वीरपुर लच्छी में सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिनमें समाजवादी लोक मंच एवं साइंस फार सोसाइटी के कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं ने भागीदारी की।
कैथल में मनरेगा मजदूरों के सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला गया। जबकि कुरुक्षेत्र में जन संघर्ष मंच द्वारा एवं गोहाना में समतामूलक महिला संगठन द्वारा सभा कर शहर में जुलूस निकालकर पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध क्रांतिकारी संघर्ष तेज करने का आह्वान किया गया।
लुधियाना में कारखाना मजदूर यूनियन एवं टैक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस पर एक परिचर्चा का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भागीदारी की।
रुद्रपुर में बी एस टी कंपनी की महिला मज़दूरों के नेतृत्व में गांधी पार्क में जोशो खरोश के साथ अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस मनाया गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने 8 मार्च के इतिहास एवं आज देश में मजदूर-मेहनतकश महिलाओं के हालातों पर विस्तार से बात की गई; साथ ही, बी एस टी कंपनी में गैर कानूनी तालाबंदी को तत्काल खत्म करने एवं सभी मजदूरों की सवेतन कार्यबहाली की मांग की गई। सभा को प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, डालफिन मजदूर संगठन, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, यजाकि वर्कर यूनियन, ठैज् मजदूर संगठन, सी.एस.टी.यू., करोलिया लाइटिंग इम्प्लाइज यूनियन, नेस्ले कर्मचारी संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सम्बोधित किया; साथ ही बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष मजदूरों ने सभा में भागीदारी की।
पंतनगर में इस अवसर पर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति ने शहीद स्मारक पर एक सभा का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के जो मजदूर विरोधी नये लेबर कोड्स पारित किये हैं उनमें महिला मजदूरों से रात की पाली में भी काम लेने का अधिकार पूंजीपतियों को सौंप दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस के अवसर पर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और प्रगतिशील भोजनमाता संगठन द्वारा बिंदुखत्ता (नैनीताल) के अम्बेडकर पार्क में एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय महिलाओं एवं भोजनमाताओं ने भी भागीदारी की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1917 में यह 8 मार्च का ही दिन था जबकि रूस में मजदूर महिलायें एवं मजदूर परिवारों की घरेलू महिलायें शांति और रोटी की मांग के साथ सैलाब बनकर सड़कों पर उतर आई थीं परिणामस्वरूप जारशाही को घुटने टेक देने पड़े थे।
मऊ और बलिया में इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र और ग्रामीण मजदूर यूनियन द्वारा कई मजदूर बस्तियों में महिला मजदूरों की बैठकें की गईं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्र में महिला मजदूरों की समस्याओं पर बातचीत की गई एवं उनसे मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी संघर्ष के साथ जुड़ कर पूंजीपरस्त व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया गया।
बरेली में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस के अवसर पर गौतम बुद्ध पब्लिक स्कूल में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि मुनाफे पर आधारित पूंजीवादी व्यवस्था में महिलाओं की मुक्ति संभव नहीं है कि मजदूर राज समाजवाद के तहत ही मजदूर-मेहनतकश महिलायें पूंजी के शोषण और पितृसत्ता की दासता से मुक्त हो सकती हैं।
-विशेष संवाददाता