
भाग क्योंकि ‘‘नारी की पूजा’’, हुंह!
तेरा यह ढकोसला उजागर हो चुका है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
इस श्लोक की दूसरी लाइन रोचक है कि जहां स्त्रियों का अपमान होता है, वहां लोगों के सारे कार्य निष्फल होते हैं। दूसरी लाईन ठीक नहीं बैठती पहली के साथ।
स्त्रियों की पूजा कहां होती है? फैक्टरी में मजदूर की, ऑफिस में कर्मचारी की, स्कूल में टीचर की पूजा कहां होती है? घर में बीबी की पूजा कहां होती है?
मां की पूजा कौन कितनी कर पाता है? मदर्स डे की फैशनेबल विश में, कुछ फिल्मी गानों में, इक असहाय अफसोस में?
भाग देवता भाग।
पर पहले ये बता जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवियां वास क्यों नहीं करतीं??
स्त्रियों की पूजा देवताओं के वास स्थल, कार्यस्थल, राजस्थल पर हो सकती है क्या?
भाग जा देवता।
हरियाणा के भ्रूण हत्या के आंकड़ों में, यूपी के लम्बे घूंघट में, बालीवुड के करीयर में, अविवाहित गर्भ समापन के चूक गये, जानलेवा बन गये मौके में स्त्री की हत्या होती है देव समाज के हाथों, पूजा नहीं होती।
स्त्री अनजाने में पढ़-लिख कर इंसान बनी। पूजा की आकांक्षा त्याग पहलवान बनी। खापों के अखाड़ों की उंगली पकड़े सात समंदर पार गई।
महिला पहलवानों ने नमो देवता से बृजभूषण देवता की शिकायत की।
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र शासती भाजपा।?
मक्कार देवता भाग
शिकायत के जवाब में, लाड़ की आड़ में, मर्यादा पुरुषोत्तम की अयोध्या के निकट, नारी पूजा का नया संस्करण : बृजभूषण शरण।
जहां देवता वास करते हैं, वे राज करते हैं, विलास करते हैं।
नारी पूजा का नया संस्करण बृजभूषण नमो नमो कर रहा।
पूरे भारत के देवता, देश की स्त्रियों का पूजा से मोह भंग होता देख सकते में हैं।
पर शातिर देवता यूं ना भागेंगे।
लाड़ की आड़ से, पूजा के ढकोसले से, जनवाद के भ्रम से बाहर निकल स्त्री आबादी जब मोदी की चुप्पी, ब्रज की फब्ती, पुलिस की लाठी खाते हुए, खापों की बेचैनी, किसानों की मिलिटैंसी, इंसानों के साथ दुर्गा बनेगी। तक देवता अपने अपने बिलों में जा छुपेंगे।
भाग देवता भाग।
-एक पाठक