जागते रहा करो,
रात को सोते वक्त भी।
कोई पता नहीं,
कब तुम्हारे घर की,
नींव नीचे,
कब कोई,
देवी या देवता
प्रगट हो जाए।
और
दूसरी सुबह,
आपका घर आपका
न रहे
किसी देवते का,
मंदिर बन जाए।
आज कल,
तैंतीस करोड़ देवते,
किसी न किसी,
इमारत की,
नींव के नीचे से,
निकलने के लिए,
अहुल रहे हैं।
सैकड़ों सालों से,
जमीन दोज
मृतक पड़े,
देवताओं को
निकालने के
काम में,
पूरी सत्ता
लालायित है।
और देवताओं
की प्यास,
मानवी खून से
बुझाई जा रही है।
इसीलिए जरूरी है,
दिन रात भर,
जागते रहना।
क्या पता ,
कहां कोई
देवता या देवी,
प्रगट हो जाए,
और हमारे
खून से,
प्यास बुझने
लग जाए।
सोते हुए,
भी जागते रहना।
जागते रहना।
-नरभिंदर