9 दिसम्बर 2024 को महिला मजदूरों की मांगों को लेकर श्रम विभाग, रोशनाबाद (हरिद्वार) पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र के नेतृत्व में प्रदर्शन किय गया। सिडकुल (हरिद्वार) में महिला मजदूरों के साथ हो रहे भेदभाव, समान काम का समान वेतन नहीं मिलने, मंदी के बहाने छंटनी व श्रम कानूनों का पालन करवाने आदि को लेकर उपश्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया। इसी के साथ मजदूर विरोधी लेबर कोड्स व महिला मजदूरों से रात की पाली में काम कराने वाले कानून वापस लेने, महिला मजदूरों को समान काम का समान वेतन लागू करने आदि मांगों का एक ज्ञापन राष्ट्रपति महोदया को भेजा गया।
साथ ही आईको कम्पनी की दो निष्कासित महिला मजदूरों की मांगों का समाधान कराने को लेकर सहायक उपश्रमायुक्त से बात हुई। उनके द्वारा आश्वासन दिया गया कि वे महिला मजदूरों को काम पर शीघ्र रखवायेंगे।
विरोध-प्रदर्शन व ज्ञापन की कार्रवाई में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के घटक संगठन भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, फूड्स श्रमिक यूनियन, देव भूमि श्रमिक संगठन, कर्मचारी संघ सत्यम, सीमेंस वर्कर्स यूनियन, एवरेडी मजदूर यूनियन, एवरेस्ट इण्डस्ट्रीज मजदूर यूनियन के प्रतिनिधियों, अधिवक्ता रूपचंद आजाद एवं आईको कम्पनी से निष्कासित महिला मजदूरों ने भागीदारी की।
दिनांक 8 दिसंबर 2024, को कांकरोला, निकट आईएमटी मानेसर, गुड़गांव में इंकलाबी मजदूर केंद्र गुड़गांव द्वारा महिला मजदूरों की वर्तमान स्थिति पर एक सभा आयोजित की गयी।
सभा में बात रखते हुए इंकलाबी मजदूर केंद्र के सदस्यों ने कहा कि आज कार्यस्थलों पर महिला मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। महिला मजदूर एक तरफ पूंजीवादी शोषण की शिकार हैं, दूसरी ओर उन्हें समान काम का समान वेतन नहीं दिया जाता। महिला मजदूर सामंती पुरुष प्रधान मानसिकता व धार्मिक कूपमंडूकता की जकड़न में अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं।
फैक्टरी में महिला मजदूरों को शौचालय जैसी सामान्य सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जाती। महिला मजदूरों का रात के समय भी शोषण करने के लिए मोदी सरकार ने चार नई श्रम संहिताओं में रात की पाली में काम कराने की पूंजीपतियों को छूट दे दी है। वह कानून अभी लागू भी नहीं हुआ है पर देश के कई हिस्सों में विशेष रूप से ई-कामर्स कंपनियों में महिलाओं से रात की पाली में काम कराया जा रहा है जो सामाजिक दृष्टि के साथ-साथ पारिवारिक दृष्टिकोण से भी महिला विरोधी है।
वक्ताओं ने कहा कि आज की विषम परिस्थितियों में मजदूरों को संघर्ष के लिए जोड़ने की चुनौतियां बहुत हैं, उसमें भी महिला मजदूरों को जोड़ने की चुनौतियां और अधिक हैं, पर बिना महिला मजदूरों को जोड़े हम मजदूरों-मेहनतकशों को मुक्त कर समाजवाद की स्थापना नहीं कर सकते। इसलिए हमें महिला मजदूरों को जोड़ने की हर संभव कोशिश में जुट जाना चाहिए।
सभा से पहले इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा महिला मजदूरों को संगठित करने के लिए जारी केंद्रीय पर्चे ‘‘महिला मजदूरों के साथ होने वाले हर भेदभाव का पुरजोर विरोध करो’’ का गुड़गांव, आईएमटी मानेसर और फर्रूखनगर में व्यापक वितरण किया गया। -विशेष संवाददाता