जबरन स्थानांतरण-हस्ताक्षर व गेटबंदी के खिलाफ किर्बी के मजदूर

/jabaran-sthaanaantaran-hastaakshara-v-getabandi-ke-khailaaf-kirbi-ke-majadoor

हरिद्वार/ किर्बी बिल्डिंग सिस्टम कम्पनी सिडकुल (हरिद्वार) के मजदूरों पर जबरन ट्रांसफर के लिए दबाव बनाने व जबरन हस्ताक्षर कराने का विरोध करने पर 5-6 मजदूरों का मैनेजमेंट ने गेट बंद कर दिया है और मैनेजमेंट द्वारा त्याग पत्र देने के लिए कहा जा रहा है। इस तरह मजदूरों का जबरन अन्य राज्यों में स्थानांतरण करना मॉडल स्टेंडिंग आर्डर उत्तराखंड का किर्बी मैनेजमेंट द्वारा सीधा-सीधा उल्लंघन है। 
    
मजदूरों का कहना है कि कम्पनी मैनेजमेंट लगातार मजदूरों का उत्पीड़न कर श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा है। कम्पनी बिल्डिंग मैटेरियल बनाती है जिसमें लोहे का भारी सामान बनता है। बैल्डिंग, फेब्रिकेशन व फिटर जैसे कुशल मजदूर 5-10 सालों से यहां काम कर रहे हैं। लगभग 700 मजदूर कार्यरत हैं जिसमें 250 के आस-पास मजदूर ठेके पर रखे गये हैं। मजदूरों से अतिरिक्त घंटे काम कराने, कैंटीन में खराब खाना व सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अगर मजदूर इसके लिए बात करते हैं तो मैनेजमेंट गाली-गलौच व धमकाने पर उतर पड़ता है और मजदूरों का गेट बंद कर दिया जाता है। मजदूर अपने मन से किसी मजदूर के बीमार होने पर हाल-चाल पूछने के लिए जाते हैं तो मैनेजमेंट उनकी जासूसी करवाता है। शादी व बर्थडे पार्टी में जाने के लिए मजदूरों को मैनेजमेंट से पूछ कर जाना होता है। मैनेजमेंट का मजदूरों के प्रति दासों वाला व्यवहार है। 
    
8 मार्च की शाम कई मजदूरों को बुलाकर जबरन स्थानांतरण पत्र पर हस्ताक्षर कराने का दबाव बनाया गया। मजदूर जब वहां गये तो वहां पुलिस व किराये के गुंडे खड़े मिले। जब मजदूरों ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तब गुंडे हमला करने के लिए पीछे लग गये। गुंडों और मैनेजमेंट द्वारा मजदूरों के परिवारजन व नाते-रिश्तेदारों को फोन करके डराया-धमकाया जा रहा है। इस तरह के गैरकानूनी कृत्य का इंकलाबी मजदूर केंद्र व संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के संयोजक को पता चला तो कम्पनी गेट पर जा कर उन्होंने मजदूरों के हक की लड़ाई में समर्थन देकर आगे संघर्ष करने के लिए रास्ता बताया।
    
इंकलाबी मजदूर केंद्र व किर्बी के मजदूरों ने 10 मार्च को गुंडों व मैनेजमेंट द्वारा शोषण-उत्पीड़न की शिकायत श्रम विभाग रोशनाबाद, डीएम कार्यालय, एसीपी कार्यालय में की गयी है। श्रम विभाग में 12 मार्च को 12 बजे एएलसी ने कम्पनी मैनेजमेंट व मजदूरों के साथ बातचीत करने के लिए बुलाया गया। प्रबंधन द्वारा 10 व 11 मार्च को कम्पनी में काम के दौरान व छुट्टी के समय भी मजदूरों के घर पर फोन करके संघर्ष कर रहे मजदूरों का साथ न देने के लिए मजदूरों को समझाया जा रहा है, लालच दिया जा रहा है। जब 12 मार्च की सुबह 11 बजे मजदूर श्रम विभाग पहुंचे तो मैनेजमेंट के गुप्तचर फोटो व वीडियो बनाने के लिए लग गये। मजदूरों ने अपनी एकता दिखाते हुए नारेबाजी की और अपने हक-अधिकार व शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प व्यक्त किया। मैनेजमेंट के छोटे अधिकारी के वार्ता में उपस्थित होने की वजह से 17 मार्च को वार्ता की अगली तारीख दी गई है। यथास्थिति बनाये रखने के लिए एएलसी द्वारा कम्पनी मैनेजमेंट व मजदूरों को एक पत्र जारी किया गया है। आगे की लड़ाई के लिए मजदूर तैयारी कर रहे हैं। 
        
-हरिद्वार संवाददाता

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता