शाह जी! आने वालों की नहीं जाने वालों की चिंता करो

/shah-ji-aane-valon-ki-nahin-jaane-vaalon-ki-chinta-karo

भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में धमकी भरे अंदाज में फरमाया ‘भारत कोई धर्मशाला नहीं है कोई जब चाहे यहां आकर रह जाए’ं अमित शाह को शायद पता हो न हो कि भारत के अमीर भारत को धर्मशाला से बदतर जगह मानते हैं। भारत के अति अमीर (सुपर रिच) भारत को छोड़-छाड़ कर जा रहे हैं। वे न भारत को जीने लायक, न रहने लायक, न कारोबार करने लायक मानते हैं। धर्मशाला के संग तो फिर भी धर्म शब्द जुड़ा है। और ये अमीर तो भारत को न तो धर्मशाला, न ‘‘मातृभूमि’’ और न ‘‘पुण्यभूमि’’ मानते हैं। जिस भूमि में ये जाना चाहते हैं वह संयुक्त अरब अमीरात (यू ए ई) है। इसके बाद नम्बर आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अमेरिका और स्विटजरलैण्ड का आता है। देश के गृहमंत्री के मुंह से कभी इन अमीरों के लिए कोई धमकी नहीं निकलती। इनकी कोई निंदा नहीं करता। कोई इनको देश का गद्दार नहीं मानता है। अमित शाह ये नहीं दहाड़ पाये कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी छोड़ कर चला जाये। 
    
कोरक प्राइवेट व ईवाई नामक कम्पनियों द्वारा किया गया एक सर्वे तब चर्चा का विषय बना जब उसने बताया कि हर पांच में से एक अति अमीर (सुपर रिच) भारत छोड़कर विदेश भाग जाना चाहता है। 
    
अमित शाह भारत की संसद में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को धमका रहे थे वहां ऐसे भारतीयों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है जो भारत की नागरिकता अपनी मर्जी से त्याग दे रहे हैं। भारत की नागरिकता इनके लिए एक बोझ है। वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2023 तक 8.34 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता त्याग दी। इन लोगों में अति अमीर से लेकर वे इंजीनियर, डॉक्टर आदि भी हैं जिन्होंने खाया तो भारत का है पर अब वे उस देश का गुण गायेंगे जहां जाकर वे बस जायेंगे। अमित शाह जी की जुबान से ऐसे लोगों के लिए एक शब्द नहीं फूटेगा। बल्कि उलटा यह होगा कि महान राष्ट्रवादी भाजपाई व संघी इनके दरवाजे पर खड़े होकर भारत में अपने दंगाई राष्ट्रवाद को बढ़ावा देंगे। 

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता