दमन पर उतारू रामनगर प्रशासन
रामनगर/ रामनगर (उत्तराखंड) में कार्बेट पार्क से लगे ग्रामीण इलाकों में जंगली जानवरों खासकर बाघ और तेंदुओं के आतंक से निजात दिलाने की मांग के साथ संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में ग्रामीणों ने अपनी पूर्व घोषणा के अनुरूप 31 दिसम्बर को सुबह ठीक 5 बजे कार्बेट के ढेला-झिरना जोन को जाम कर पर्यटन गतिविधियों को ठप्प कर दिया।
31 दिसम्बर का दिन पर्यटन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है; बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक थर्टी फर्स्ट मनाने के लिये कार्बेट पार्क आते हैं। ऐसे में ग्रामीणों द्वारा सावल्दे गांव पर पर्यटक जिप्सियों की आवाजाही रोक देने की इस कार्यवाही से शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया। यहां यह महत्वपूर्ण है कि ग्रामीणों ने पर्यटक जिप्सियों के अलावा अन्य वाहनों की आवाजाही में कोई रुकावट नहीं डाली।
उत्तराखंड में भाजपा की डबल इंजन की सरकार की पर्यटन नीति इजारेदार पूंजीपतियों, साम्राज्यवादियों एवं होटल-रिजोर्ट लाबी के हितों में संचालित है। इस कारण यह सरकार 31 दिसम्बर के दिन पर्यटन गतिविधियों को ठप्प करने की इस कार्यवाही को बर्दाश्त नहीं कर सकी और ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के बजाय उनके दमन पर उतर आई। प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल लगाकर जोर-जबरदस्ती सड़कों पर घसीटते हुये कुछ नेतृत्वकरी लोगों- संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार व राजेंद्र कुमार, इंकलाबी मजदूर केंद्र के महासचिव रोहित रुहेला व सूरज सैनी एवं ग्रामीण नेता सोबन सिंह तड़ियाल व ललित मोहन पाण्डेय - को गिरफ्तार कर लिया।
लेकिन इन गिरफ्तारियों के बाद भी आंदोलन नहीं रुका; एक ओर महिलाओं ने बढ़कर मोर्चा संभाल लिया तो पुलिसिया दमन की इस कार्यवाही से बेहद क्षुब्ध उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव और राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद आमरण अनशन की घोषणा कर दी। अब पुलिस ने प्रभात ध्यानी समेत कई महिला कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर आंदोलन कुचलने की कोशिश की, लेकिन इससे आंदोलन और अधिक भड़क उठा। ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में महिलायें जुटने लगीं और विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता व अन्य सामाजिक लोग भी एकत्र होने लगे और अब सेमलखलिया चौराहे को जाम कर दिया गया।
दिन भर इसी तरह अफरा-तफरी रही; धीरे-धीरे गिरफ्तार लोगों की संख्या दो दर्जन तक जा पहुंची; पुलिस ने ग्रामीणों के जत्थों को रास्ते में ही रोकना शुरू कर दिया और उनके घरों तक पर जाकर दबिश दी।
अंततः देर शाम भारी जन दबाव में शांति भंग के मुकदमे में गिरफ्तार सभी लोगों को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया और उपजिलाधिकारी द्वारा ग्रामीणों की सभी समस्याओं एवं मांगों को शासन-प्रशासन के उच्च स्तर पर उठाकर उनके समाधान का आश्वासन दिया गया; तदुपरान्त प्रभात ध्यानी ने भी अपना अनशन समाप्त कर दिया और पुलिस-प्रशासन ने भी चैन की सांस ली।
31 दिसम्बर के दिन कार्बेट जैसे प्रसिद्ध पार्क के एक पूरे जोन को बंद कर देने की इस कार्यवाही का संदेश न सिर्फ प्रदेश अपितु देश और दुनिया के स्तर पर भी गया है। इसने मोदी-धामी सरकार की पर्यटकों को आकर्षित करने की जन विरोधी पर्यटन नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया है, जिसके कारण आज न सिर्फ कार्बेट पार्क अपितु पूरे उत्तराखंड में बाघ और तेंदुओं की संख्या तय मापदंड से कई गुना हो चुकी है; परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में एवं जंगल से लगी सड़कों पर बाघ और तेंदुओं के हमले एकदम आम हो चुके हैं और आये दिन लोग अपनी जान गंवा रहे हैं; उनके मवेशियों को भी ये खूंखार जंगली जानवर अपना निवाला बना रहे हैं जबकि सूअर खेती को चौपट कर रहे हैं।
रामनगर में संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में ग्रामीण पिछले करीब दो महीने से जंगली जानवरों के इसी आतंक से निजात दिलाने की मांग के साथ आंदोलनरत हैं, लेकिन पर्यटकों के लिये पलक-पांवड़े बिछाये बैठी धामी सरकार गरीब मजदूर-मेहनतकश जनता की जिंदगी और जीवन जीने के उनके अधिकार की भी कोई परवाह नहीं कर रही है।
संयुक्त संघर्ष समिति ने एक प्रेस वार्ता कर पुलिसिया दमन की कड़ी निंदा की है और आंदोलन को जारी रखने के एलान के साथ अब 16 जनवरी को कार्बेट के ढेला रेंज कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन की घोषणा की है।
-रामनगर संवाददाता