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मिश्र के गजल अल-महल्ला के 7 हजार मजदूर 22 फरवरी से हड़ताल पर चले गये। ये मजदूर बेहतर वेतन और बोनस की मांग कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की इस विशाल कम्पनी में कताई, टेक्सटाइल, मेडिकल कॉटन व विद्युत स्टेशन में दसियों हजार मजदूर काम करते हैं।
मिश्र में हाल में ही राष्ट्रपति अल सीसी ने सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में 1100 से 1200 मिश्री पाउण्ड की घोषणा की थी। पर अल-महल्ला के मजदूर इस वेतन वृद्धि के दायरे में नहीं आते हैं। अतः यहां के हड़ताली मजदूर अपना वेतन 3500 मिश्री पाउण्ड से बढ़ाकर 6000 मिश्री पाउण्ड करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा दैनिक भोजन भत्ता 7 मिश्री पाउण्ड से बढ़ाकर 30 मिश्री पाउण्ड की मांग कर रहे हैं। साथ ही वे तरह-तरह से वेतन कटौतियों को बंद करने की भी मांग कर रहे हैं।
मजदूरों की हड़ताल 22 फरवरी को तब अचानक शुरू हो गयी जब स्थानीय गवर्नर को इस औद्योगिक क्षेत्र के दौरे पर आना था। फैक्टरी के प्रबंधकों ने मजदूरों के एकत्र होने के खतरे को भांपते हुए कई जगह गेट बंद कर दिये। परिणामतः आक्रोशित मजदूर हड़ताल पर चले गये और गवर्नर को अपना दौरा रद्द करना पड़ा। 25 फरवरी को हुई वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और मजदूरों की हड़ताल जारी रही।
मजदूरों में बड़ी संख्या में महिला मजदूर शामिल हैं। 24 फरवरी को हड़ताली मजदूरों पर पुलिस ने बर्बरता का प्रदर्शन करते हुए कई मजदूरों को हिरासत में ले लिया। मजदूरों का कहना है कि बढ़ती महंगाई में उनका वेतन उनकी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहा है। ऐसे में उनका वेतन बढ़ाया जाना चाहिए। बीते वर्ष अक्टूबर में न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 3500 मिश्री पाउण्ड किया गया था पर इस वेतन वृद्धि के बाद उनकी कटौतियां काफी बढ़ गयी हैं।
एक मजदूर ने बताया कि 33 वर्ष काम करने के बाद भी उसे मात्र 4200 मिश्री पाउण्ड वेतन मिल रहा है। इसलिए न्यूनतम वेतन ही नहीं सालाना वेतन वृद्धि भी होनी चाहिए एवं कटौतियों व करों को कम किया जाना चाहिए।
सरकारी ट्रेड यूनियन सेण्टर- मिश्र ट्रेड यूनियन फेडरेशन से कम्पनी की आधिकारिक यूनियन जुड़ी है। मिश्र ट्रेड यूनियन फेडरेशन इस हड़ताल में मजदूरों को ही डराने-धमकाने का काम कर रही है।
मिश्र में गजल अल-महल्ला के मजदूरों के संघर्षों का गौरवशाली इतिहास रहा है। 2006 में यहां के मजदूरों की हड़ताल पूरे देश में मजदूर संघर्षों को शुरू करने का जरिया बन गयी। तब 15,000 टेक्सटाइल मजदूर बाजार केन्द्रित सुधारों व बेहतर जीवन परिस्थितियों की मांग के साथ 3 दिन की हड़ताल पर चले गये थे। 2008 में पूर्व राष्ट्रपति हुस्ने मुबारक द्वारा धोखाधड़ी से चुनाव जीतने के विरोध में हुए प्रदर्शनों में यहां के मजदूर बढ़ चढ़ कर शामिल हुए थे। 2011 के मशहूर तहरीर चौक के प्रदर्शनों में यहां के मजदूरों की भागीदारी ने हुस्ने मुबारक को गद्दी छोड़ने को मजबूर कर दिया था। कम्पनी को निजी हाथों में बेचने के खिलाफ भी मजदूर जब तब संघर्ष करते रहे थे। 2012 में मुस्लिम ब्रदरहुड के शासन के खिलाफ छात्रों व अन्य मजदूरों के संघर्ष में यहां के मजदूर भी शामिल हुए। 2014, 2015, 2017 में भी यहां के मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे।
मौजूदा हड़ताल को भी अल-महल्ला के मजदूर मजबूती से लड़ रहे हैं।