इण्टरनेट बैन : सामूहिक दण्ड

भारत में इण्टरनेट पर पाबंदी (बैन) की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। केन्द्र व राज्य सरकारें जब मर्जी आये तब इण्टरनेट को बंद कर देती हैं। यह बंदी कुछेक दिनों से लेकर महीनों-महीने चलती रहती है। इण्टरनेट पर पाबंदी लगाने में भाजपा की केन्द्र व राज्य सरकारें सबसे आगे हैं। और हद यह है कि दुनिया में इण्टरनेट पर पाबंदी लगाने वाले देशों में भारत सबसे आगे है। दुनिया भर में वर्ष 2016 के बाद से इण्टरनेट बंद करने की 58 प्रतिशत घटनाएं भारत में हुयी हैं। 
    
इण्टरनेट पर पाबंदी का सबसे ताजा मामला पंजाब और हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन का है। हरियाणा व केन्द्र सरकार ने हरियाणा के सात जिलों व पंजाब तथा हरियाणा की सीमा पर स्थित पुलिस थानों में 13 फरवरी से ही इण्टरनेट बंदी लगायी हुई है। इसी के साथ किसान नेताओं व पत्रकारों के 177 ट्विटर एकाउण्टस पर भी पाबंदी लगा दी गयी है। 
    
इण्टरनेट पर पाबंदी आज के जमाने में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सबसे बड़ा हमला है। इसके साथ ही यह उन लोगों पर भी सरकार का अघोषित अत्याचार होता है जिनका कोई भी लेना-देना उस वजह से नहीं होता है जिस वजह की आड़ में सरकार ने इण्टरनेट पर पाबंदी लगायी होती है। जैसे हरियाणा के जिन जिलों में इण्टरनेट पर पाबंदी लगायी गयी है वहां आंदोलनरत किसानों के इतर विद्यार्थियों से लेकर आम जन हैं जो अपने कार्यों की जरूरत के अनुरूप इण्टरनेट का उपयोग कर रहे होते हैं। परीक्षाओं के दिनों में इण्टरनेट पर प्रतिबंध का सीधा खामियाजा विद्यार्थियों व अन्य युवाओं को उठाना पड़ता है।
     
भारत में इण्टरनेट पर बढ़ती पाबंदी भारत में हिन्दू फासीवाद के बढ़ते कदमों का ही प्रभाव है। इण्टरनेट बैन; बुलडोजर न्याय; अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को तोड़ना; पुलिस का तुरत-फुरत न्याय करने के नाम पर कथित अपराधियों की हत्या करना; सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं-बुद्धिजीवियों को जेल में लम्बे समय तक बिना आरोप पत्र के कैद रखना; विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर सीबीआई-ईडी आदि के जरिये हमले करना आदि सभी हिन्दू फासीवाद के संगठित हमले हैं। ये सभी हिन्दू फासीवाद के तौर-तरीकों के हिस्से हैं। 
    
इण्टरनेट पर प्रतिबंध एक सामूहिक दण्ड है। भारत में सबसे अधिक यह दण्ड और सबसे अधिक बार जम्मू-कश्मीर की जनता को दिया गया। वहां सबसे अधिक 433 बार व सबसे अधिक 552 दिनों के लिए इण्टरनेट पर पाबंदी लगायी गयी। कश्मीर में धारा-370 की समाप्ति के बाद लगाया इण्टरनेट बंद सबसे अधिक लम्बा था। कश्मीर के बाद मणिपुर में भी 200 दिनों तक इण्टरनेट बंद रहा। 

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता