परफेक्ट डायनामिक्स आटो प्राइवेट लिमिटेड
पंतनगर/ परफेक्ट डायनामिक्स ऑटो प्राइवेट लिमिटेड (पीडीपीएल) कम्पनी प्लाट नंबर 7, सेक्टर 9, सिडकुल पन्तनगर उधमसिंह नगर में बजाज (टू व्हीलर) के लिए लेग गार्ड, साइड गार्ड, फुट स्टैंड आदि कई सारे पार्ट्स बनाती है। यहां पर 41 स्थायी, 25 से 30 स्टाफ व लगभग 300 की संख्या में ठेका मजदूर काम करते हैं। मजदूरों का वेतन लगभग 10,000 रुपया महीना 12 घंटे की औसत के हिसाब से मिलता है। यहां पर श्रम कानूनों के नाम पर कोई भी सुविधाएं नहीं मिलती हैं जैसे- ओवरटाइम का दुगना वेतन, स्थायीकरण पत्र, छुट्टियां, बोनस, कैंटीन की सुविधा, वर्दी आदि कुछ भी नहीं दिया जाता है। इन तमाम सारी चीजों से दुखी होकर मजदूरों ने अपनी यूनियन परफेक्ट डायनामिक मजदूर यूनियन, सिडकुल पंतनगर की फाइल लगाकर श्रम विभाग में पंजीकृत करवाई। यूनियन ने श्रम कानूनों के संदर्भ में प्राप्त सुविधाओं को पाने के लिए श्रम विभाग को एक लेटर दिया। जिस पर श्रम विभाग ने वार्ता बुलाई और श्रम विभाग के अधिकारियों ने प्रबंधन से मज़दूरों को कानूनी सुविधाएं देने को कहा। परिणामस्वरूप 380 रु. मासिक वेतन में वृद्धि हुई जो कि न्यूनतम वेतन के बराबर ही होता था।
1 अप्रैल 2023 से कंपनी का मालिकाना बदल गया। नये मालिक ने इन मजदूरों से 20 अप्रैल तक कंपनी में कार्य कराया। जब मजदूर 21 अप्रैल को कम्पनी गए तो नए प्रबंधन द्वारा यह कहकर कि मालिकाना बदल गया है, मजदूरों का गेट बंद कर दिया। मजदूरों को इस्तीफा देकर नए सिरे से या ठेके के तहत काम करने को कहा गया। मजदूरों ने कंपनी गेट पर ही धरना प्रदर्शन किया, श्रम विभाग में व जिला प्रशासन को ज्ञापन भी दिया। नये मालिक द्वारा जब मजदूरों का गेट बंद किया गया था, उस दौरान श्रम विभाग में समझौता लागू करवाने को वार्ता चल रही थी। उस वार्ता में पुराना व नया दोनों ही मालिक मौजूद रहते थे।
कंपनी में वर्तमान में ठेके वालों व स्टाफ वालों से इस्तीफा लेने के पश्चात काम करवाया जा रहा है। आंदोलन अभी जारी है। 7 जून को डीएलसी रुद्रपुर में त्रिपक्षीय वार्ता हुई। उस वार्ता में डीएलसी महोदय के द्वारा कंपनी प्रबंधन को यह सलाह दी गई कि वह 20 मजदूरों को तत्काल कार्य पर रखे और बाकी बचे हुए लोगों को जैसे-जैसे काम बढ़ता है, वैसे-वैसे काम पर रखे। सभी की नए सिरे से कार्यबहाली व यूनियन भी नए सिरे से बनाने की बात प्रबंधन ने कही है। इस पर अगली वार्ता 13 जून को होनी है। यूनियन का पक्ष इस मामले में यह है कि प्रबंधन सभी मजदूरों को एक साथ ले, नहीं तो अगर प्रबंधन आधे मज़दूरों को बाद में लेता है उसके लिए एक समयावधि निश्चित करे।
वर्तमान समय में पुराने श्रम कानून मालिकों ने मानने बंद कर दिये हैं। सरकार नई श्रम संहिताओं को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। मजदूर कम संख्या के बावजूद संघर्ष को कैसे आगे बढ़ाएं यह चुनौती है? वर्तमान समय में कम संख्या वाले कंपनी के मजदूरों की लड़ाई कमजोर होती चली गयी है। ऐसे में सचेत मजदूरों का यह प्रयास होना चाहिए कि अपनी एकता को कैसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए? उसमें भी कंपनी में ठेका, कैजुअल ट्रेनी, स्टाफ आदि तमाम सारा जो बंटवारा किया है, उसे धता बताते हुए वर्गीय तौर पर एकजुट होने पर ही किसी प्रकार का कोई दबाव प्रबंधन पर पड़ सकता है। एक समान उत्पादन करने वाले कम्पनियों के मजदूरों को भी एकजुटता कायम करनी होगी। साथी ही मजदूरों की वर्गीय एकजुटता व धैर्य के साथ संघर्ष आज वक्त की जरूरत है।
-पंतनगर संवाददाता