फिलिस्तीन एक दिन अवश्य आजाद होगा !

अलविदा ! अरोन बुशनेल

‘‘मैं नरसंहार में और अधिक सहभागी नहीं बनना चाहता हूं।’’, ‘‘फिलिस्तीन को आजाद करो!’’ कहते हुए 25 वर्ष के अरोन बुशनेल ने 25 फरवरी को अमेरिका में इजरायली दूतावास के ठीक सामने आत्मदाह कर लिया। वे अमेरिकी वायुसेना के सदस्य थे। 
    
अरोन बुशनेल उन महान अमेरिकियों में से एक हो गये जिन्होंने अमेरिकी शासक वर्ग के काले कारनामों में साथ देने से इंकार कर दिया। अभी कुछ दिन पहले ही फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ एक अमेरिकी महिला ने अमेरिका के अटलांटा में इजरायली कन्सुलेट के सामने आत्मदाह कर लिया था। स.रा.अमेरिका में इजरायल द्वारा गाजापट्टी में किये जा रहे नरसंहार का विरोध दिन-ब-दिन बढ़ता गया है। अरोन बुशनेल जैसे इंसाफपसंद लोग अमेरिकी फौज में भी हैं जो चाहते हैं कि इजरायल द्वारा अमेरिका के सहयोग से किया जा रहा नरसंहार गाजा पट्टी में तुरंत बंद किया जाये और फिलिस्तीन को तुरंत आजाद कराया जाये। 
    
अरोन बुशनेल ने आत्मदाह से पहले बताया कि वह क्यों आत्मदाह जैसा अतिवादी कदम उठा रहे हैं। उनके अनुसार उन्होंने ये अतिवादी कदम जनसंहार के विरोध में और फिलिस्तीन की आजादी की मांग को बुलंद करने के लिए उठाया है। 
    
25 वर्षीय अरोन बुशनेल ने यकायक राशेल कोरी की याद दिला दी। राशेल महज 23 साल की थीं जब उनकी हत्या 16 मार्च 2003 को इजरायली सेना ने अपने बुलडोजर के नीचे दबा कर के कर दी थी। राशेल गाजा पट्टी के राफेह में फिलिस्तीनियों की बस्ती को उजाड़ने के समय इजरायली बुलडोजर के आगे खड़ी हो गयी थीं। 
    
अरोन बुशनेल की मौत पर जहां अमेरिकी शासक वर्ग ने चुप्पी साध ली वहीं अमेरिकी मीडिया समूह उनकी मौत के कारणों को अमेरिकी शासक वर्ग की क्रूर-धूर्त नीतियों और इजरायली शासकों के घनघोर मानवता विरोधी फासीवादी अत्याचारों में नहीं बल्कि अरोन बुशनेल के विचारों और पारिवारिक पृष्ठभूमि में देख रहे हैं। अरोन बुशनेल को कोस रहे हैं कि कोई अनुशासित अमेरिकी सिपाही कैसे सरकार के फैसलों पर विरोध जता सकता है। उसे तो बस अमेरिकी युद्ध मशीन का चारा भर होना चाहिए। 
    
भले ही अरोन बुशनेल ने अतिवादी कदम उठाया हो परन्तु उनके इस कदम ने अमेरिकी शासकों को आइना दिखा दिया और पूरी मानव जाति की आत्मा को झकझोरने की कोशिश की है। 

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता