
हरिद्वार की हरकी पौड़ी को एक कारिडोर में विकसित करने की योजना को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है। इस कारिडोर का क्षेत्र ऋषिकेश, भारत माता मंदिर, सती कुंड, भूपतवाला आदि रहेगा। इन खबरों के बाद व्यापारियों और भवन स्वामियों में एक तरह की शंका व आशंका तथा चिंता शुरू हो गई हैं। इस मुद्दे को कांग्रेस भी लपकना चाहती है। कुछ विरोध प्रदर्शन में भागीदारी भी कांग्रेसियों ने की है। सूबे के मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय डी एम व अन्य जिम्मेदार अधिकारी इस बात का पूरा भरोसा दे रहे हैं कि किसी दुकान, व्यवसायी, मकान मालिकों को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। इस परिघटना को काशी विश्वनाथ कारिडोर की रोशनी में देखते हैं तस्वीर स्पष्ट हो जाती है क्या था काशी विश्वनाथ कारिडोर?
8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ कारिडोर का शिलान्यास किया गया। यह परियोजना 5 लाख वर्ग फीट में फैली है। इस परियोजना के लिए 1000 करोड़ रुपए का बजट था। 50,000 वर्ग मीटर में 23 इमारतें, 27 मंदिरों का निर्माण, 1400 दुकानदारों, मकान मालिकों व किरायदारों को पुनर्स्थापित, गंगा तक 4 लाईन सड़कों का निर्माण करना था। 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ कारिडोर का उद्घाटन हुआ।
काशी में 300 से ज्यादा घर स्थानीय निवासियों से व किरायेदारों से छीन लिए गए। ‘‘जान देंगे पर मकान नहीं’’ का नारा देने के बाद भी जब सरकार व उसके अधिकारियों द्वारा लगातार दबाव डाला गया तो लोगों को घर छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।
जिन मकान मालिकों के घर टूटे उनको मुआवजा मिला परन्तु मुआवजे से जिंदगी और रोजगार की भरपाई करना असंभव है। जो किराए पर दुकान लिए थे या फड़ खोखे वाले थे उनका तो राम ही मालिक है।
कई संयुक्त परिवार मिलकर कार्य करते थे वे आज रोजगार और पारिवारिक दृष्टि से बिखर गए हैं। क्योंकि विश्वनाथ मंदिर के आस-पास उनका कारोबार पीढ़ियों से चल रहा था। कुछ दुकानदारों को आश्वासन मिला था कि कारिडोर क्षेत्र बन जाने के बाद, उन्हें कारिडोर क्षेत्र में दुकानें मिल जायेंगी।
ऐसा आश्वासन बहुत सारे दुकानदारों के लिए कोरा आश्वासन ही साबित हुआ। सरकार ने कारिडोर का काम कई चरणों में किया जिससे उजड़ने वाले एकजुट नहीं हो सके और बड़ा विरोध एक साथ न हो सका। होटल, गेस्ट हाउस, भोजनालय, नाव सवारी आदि सुविधाओं में हजारों लोग लगे थे। इस संरचना को पूरी तरह बदल दिया गया है। कारिडोर के भीतर ही सारे कारोबारों को केंद्रीकृत किया गया है।
यह स्पष्ट है कि सरकार कारिडोर के भीतर पांच सितारा होटल खोलकर सभी सहायक सेवाओं को प्रदान करना चाहती है। यहां बड़े-बड़े पैसे वालों को मौका मिलेगा छोटे व्यवसायी उनके अधीन होंगे। सारा मुनाफा कुछ ही एकाधिकारी घरानों के पास सिमट जाएगा।
इस आईने में हम हरिद्वार की हर की पौड़ी कारिडोर का भविष्य साफ देख सकते हैं कि सरकार व उसके अधिकारी कितनी लच्छेदार बातें कर लें कि कोई नहीं बर्बाद होगा, किसी का नुकसान नहीं होगा, किसी के घर नहीं टूटेंगे व किसी का कारोबार चौपट नहीं होगा; इन लफ्फाजियों का कोई मतलब नहीं है। कारिडोर बनाने, पार्क बनाने, सड़कों को चौड़ा करने एवम सौंदर्यीकरण करने में किसी को कोई आपत्ति तब नहीं होगी जब सरकार उजड़ने वालों की उचित व्यवस्था करती, उनके पुनर्वास की व्यवस्था करती। जिनके कारोबार या रोजगार छिन रहे हैं या बर्बाद हो रहे हैं, उन्हें रोजगार देती।
सरकार ऐसा कुछ भी नहीं करेगी क्योंकि उसे अपने अरबपति मित्रों, बड़े कारोबारियों को और ज्यादा अमीर बनाना है। सारे काम धंधों में उनकी भागीदारी करानी है जिससे गरीब छोटे फड़-खोखे वाले, फल-फ़ूल के काम करने वाले, किराए पर दुकान चलाने वाले या छोटे व्यापारियों को केवल कोरे आश्वासन मिलेंगे जैसे काशी विश्वनाथ कारिडोर के निर्माण की गाथा से स्पष्ट है। ऐसे में कारिडोर से प्रभावित होने वाले सभी लोगों को सरकार की पूंजी परस्त नीतियों का विरोध करना होगा। जो काम दे नहीं सकते तो उनको काम छीनने का कोई अधिकार नहीं है जो घर-दुकान दे नहीं सकते हैं तो उसे घर-दुकानों को उजाड़ने का कोई अधिकार नहीं है।
-हरिद्वार संवाददाता