ब्रिटानिया के ठेका मजदूरों का संघर्ष

रुद्रपुर (उत्तराखंड) स्थित ब्रिटानिया कंपनी में 30 नवंबर 2023 को दोपहर 1ः00 से लगभग 1800-2000 मजदूरों ने काम बंद कर दिया और वेतन बढ़ोतरी और महीने में पूरी ड्यूटी देने समेत कई मांगों को लेकर ठेका मजदूरों (महिला व पुरुष) ने सामूहिक रूप से हड़ताल कर दी। इसमें बड़ी संख्या महिला मजदूरों की रही। 
    
मजदूरों का आरोप है कि पिछले लम्बे समय से कम्पनी द्वारा उनके वेतन में किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। जो भी पैसा बढ़ा है वह केवल समय-समय पर बढ़ने वाले महंगाई भत्ते के रूप में बढ़ा है। 2012 में 3900 रु. हाथ में मिलता था। अब 2023 में 8 हजार रुपए हैं। परंतु वह भी ड्यूटी पूरी नहीं मिलने के कारण पूरा नहीं मिलता है। इससे मजदूरों में काफी आक्रोश व्याप्त है। जबकि सरकार द्वारा अकुशल मजदूर का न्यूनतम वेतन 9911 रु. घोषित है।
    
मजदूरों ने कंपनी से बाहर निकल कर अपनी वेतन बढोत्तरी की मांग को लेकर हड़ताल करनी शुरू कर दी और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसी के साथ ही कंपनी मैनेजमेंट ने पुलिस बुला ली। पुलिस द्वारा प्रबंधन को समझाने के बजाय उल्टा मजदूरों को समझाया गया कि तुम्हारी हड़ताल अनुचित है। ठेकेदार के सुपरवाइजरों और कंपनी के अधिकारी भी मजदूरों को काम पर जाने को कहते रहे परंतु मजदूरों ने किसी की ना सुनी और एक स्वर से तनख्वाह बढ़ाने की बात की। साथ ही महीने में 26 ड्यूटी पूरी देने की भी मांग की।
    
मजदूर वेतन बढ़ोत्तरी के लिए पूर्व में भी कई बार मांग पत्र दे चुके हैं। प्रबंधन व ठेकेदार द्वारा मजदूरों को धमकाया जाता है कि जिसको काम करना है काम करो वरना काम पर मत आओ। कंपनी में काम करने के दौरान किसी प्रकार की कोई ड्रेस मजदूरों को नहीं मिलती है। मजदूर जो भी ड्रेस बनाते हैं वह खुद ही अपने पैसे से बनाते हैं। सेफ्टी शूज भी कंपनी से नहीं मिलता है। 
    
इसी प्रकार मजदूरों की मांग है कि उन्हें लगातार ड्यूटी दी जाए। उनकी तनख्वाह कम से कम 15,000 रु. की जाए। बसों में जो पैसा कटता है उस पर रोक लगे। घर से ड्यूटी पर पहुंचने के बाद वापस करने पर रोक लगाई जाए।
    
पुलिस के अधिकारियों द्वारा मजदूरों को यह कहकर धमकाया गया कि फैक्टरी गेट कोई धरना स्थल नहीं है।
    
4 दिसंबर 2023 को श्रम विभाग में मजदूरों की प्रबंधन और ठेकेदार से वार्ता हुई। मजदूर प्रतिनिधियों द्वारा अपना लिखित कथन दिया गया  कि आंदोलन में शामिल समस्त श्रमिक ब्रिटानिया कंपनी में कुशल श्रमिक के रूप में मुख्य उत्पादन गतिविधियों में मशीनों पर और उत्पादन लाइनों में कार्यरत हैं। इसलिए उन्हें उत्तराखंड शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का भुगतान कराया जाए और पिछला बकाया भुगतान क्षतिपूर्ति के साथ कराया जाए।
    
कंपनी प्रबंधन द्वारा संविदा श्रम अधिनियम 1970 का घोर उल्लंघन कर अप्रशिक्षित ठेका मजदूरों को खतरनाक मशीनों पर कार्य कराया जा रहा है। इसलिए कंपनी प्रबंधन एवं उक्त संविदाकारों के विरुद्ध संविदा श्रम अधिनियम के उल्लंघन पर सिविल न्यायालय में वाद दायर किया जाए और संविदाकारों के लाइसेंसों को निरस्त किया जाए। और कंपनी में चल रहे इस गैरकानूनी कृत्य पर तत्काल रोक लगाई जाए। स्थाई काम का स्थाई रोजगार कानून को लागू कर स्थाई प्रकृति के कार्यों में नियोजित सभी श्रमिकों को स्थाई नियुक्ति पत्र दिलाए जाए। समान काम का समान वेतन भुगतान कानून को लागू कर उन्हें भी स्थाई श्रमिकों के बराबर वेतन भुगतान किया जाए। 
    
इस पर सहायक श्रमायुक्त द्वारा बड़ी चतुराई से मजदूरों की बात दबा दी गयी। इस बात को भांप कर प्रबंधन द्वारा वेतन बढ़ोत्तरी के लिए अपने ऊपर के अधिकारियों को एप्लीकेशन लिखी है, का हवाला दिया गया और बाकी तमाम मांगों को जल्द ही पूरा करने का आश्वासन भी दिया। उसके अलावा प्रबंधन महंगाई भत्ते में केवल 200 रु. बढ़ाने (1500 से 1700 रु. करने) पर सहमत हुआ।
    
अगली वार्ता की तारीख 11 दिसंबर तय की गई है। मजदूर प्रतिनिधियों द्वारा सभा स्थल पर आकर मजदूरों को समझाया कि अभी हमारी मांगों पर श्रम विभाग में बात हुई है। तमाम मांगों के साथ ही वेतन बढ़ोत्तरी, अर्द्धकुशल व कुशल का वेतन मिलेगा। इस मामले पर आगे हम बातचीत करेंगे फिलहाल 200 रु. बढ़ोतरी प्रबंधन द्वारा की जा रही है। पहले इस पर मजदूर राजी नहीं हुए और आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात की परंतु काफी समझाने के बाद मजदूरों द्वारा यह बात महसूस की गयी कि बिना पर्याप्त तैयारी के संघर्ष ठीक नहीं है और तैयारी के साथ संघर्ष को करने के लिए कोशिश की जाएगी। देर रात मजदूरों की मांग पर मांगपत्र के बिंदुओं पर ठेकेदार द्वारा चालाकी के साथ लिखित में तो दे दिया है परंतु मज़दूरों की सहमति भी ले ली है कि विवाद समाप्त हो गया है जिससे श्रम विभाग से मामला समाप्त हो सके। फिलहाल सभी मजदूर काम पर वापस लौटे गये हैं।             -रुद्रपुर संवाददाता

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को